Meditation : बेहतर लाइफस्टाइल के लिए ध्यान की शुरुआत कैसे करें ?

Meditation : एक ऐसी यौगिक क्रिया है जिसमें साधक अपने ध्यान , श्वास एवं चित्त को साधने का प्रयास करता है। ध्यान का अभ्यास करते समय साधक केवल अपने श्वास पर ध्यान नहीं लगाता बल्कि शरीर के प्रत्येक अंग व चक्र को भी साधने की दिशा में आगे बढ़ता है। हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं। इनको जागृत कर इस जीवन को सही मायने में सफल बना सकते हैं। ध्यान का हमारे जीवन में न केवल अध्यात्मिक महत्त्व है बल्कि शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के सम्बंध से भी महत्त्व है। इस लेख में, हम ध्यान की शुरुआत कैसे करें, इसके लाभ और इसे अपनी जीवनशैली में कैसे शामिल करें, इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

ध्यान Meditation क्या है ?

मेडिटेशन ऐसी यौगिक क्रिया है जिसमें साधक अपने ध्यान , श्वास एवं चित्त को साधने का प्रयास करता है। ध्यान एक प्राचीन विधा है जो मानसिक शांति, एकाग्रता और आत्म-जागरूकता को बढ़ावा देती है। यह कई संस्कृतियों और धर्मों में विभिन्न रूपों में पाया जाता है, लेकिन इसका मूल उद्देश्य मन को शांत करना और आत्म-ज्ञान प्राप्त करना होता है। ध्यान के कई प्रकार होते हैं, जिनमें माइंडफुलनेस मेडिटेशन, ट्रांसेंडैंटल मेडिटेशन, गाइडेड मेडिटेशन और योगिक ध्यान शामिल हैं।

ध्यान Meditation : बेहतर लाइफस्टाइल के लिए

ध्यान Meditation : आधुनिक जीवनशैली में तनाव, चिंता और मानसिक अशांति एक सामान्य बात हो गई है। इन समस्याओं का समाधान खोजने के लिए ध्यान (Meditation) एक प्राचीन और प्रभावी विधि है। ध्यान न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है बल्कि शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी सुधारता है।

ध्यान Meditation : अच्छी लाइफस्टाइल का अर्थ है एक ऐसा जीवन जीना जो शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक रूप से स्वस्थ और संतुलित हो। ध्यान Meditation जीवन का अभिन्न अंग है। ध्यान के बिना जीवन अधूरा है। ध्यान के बिना हम अपने किसी भी भौतिक और आध्यात्मिक लक्ष्य में सफल नहीं हो सकते। ध्यान से ही हम सदा आनंदमय एवं शांतिमय जीवन जी सकते हैं।

ध्यान में जब केवल ध्येयमात्र (ईश्वर) के स्वरूप या स्वभाव को प्रकाशित करने वाला अपने स्वरूप से शून्य जैसा होता हैं , तब उसे समाधि कहते हैं। आनंदम , ज्योतिर्मय एवं शांतिमय परमेश्वर का ध्यान करता हुआ साधक ओंकार ब्रह्म परमेश्वर में इतना लीन , तन्मय हो जाता हैं कि वह स्वयं को भूल सा जाता है।

ध्यान एवं समाधि में इतना ही भेद है कि ध्यान में तो ध्यान करने वाला , जिस मन से , जिस का ध्यान करता है , वे तीनों – ध्याता , ध्येय और ध्यान विद्यमान रहते हैं। परन्तु समाधि में केवल परमेश्वर के आनंदमय , शांतिमय , ज्योतिर्मय स्वरूप एवं दिव्य ज्ञान – आलोक में निमग्न हो जाता है , वहां तीनों का भेद नहीं रहता।

ध्यान Meditation के लाभ

  1. मानसिक शांति और तनाव प्रबंधन : नियमित ध्यान से मानसिक शांति मिलती है और तनाव को कम करने में मदद मिलती है। यह कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन्स को कम करता है और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
  2. बेहतर ध्यान और एकाग्रता : ध्यान मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार करता है। यह कार्यक्षेत्र और अध्ययन में प्रदर्शन को बेहतर बनाता है।
  3. भावनात्मक संतुलन : ध्यान से आत्म-स्वीकृति और भावनात्मक संतुलन में सुधार होता है। यह नकारात्मक भावनाओं को कम करता है और सकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा देता है।
  4. शारीरिक स्वास्थ्य : ध्यान से रक्तचाप कम होता है, हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है और प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। यह शरीर को आराम देने और रोगों से लड़ने में मदद करता है।
  5. बेहतर नींद : ध्यान नींद की गुणवत्ता को सुधारता है और अनिद्रा की समस्याओं को कम करता है। यह शरीर और मन को शांत करता है, जिससे बेहतर नींद आती है।
  6. आध्यात्मिक विकास : ध्यान आत्म-जागरूकता और आत्म-साक्षात्कार की प्रक्रिया में सहायक होता है। यह आत्म-ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।

ध्यान Meditation की शुरुआत कैसे करें ?

Glamours

ध्यान की शुरुआत करने के लिए कुछ सरल कदम अपनाए जा सकते हैं:

  • ध्यान करने से पहले प्राणायाम अवश्य करें। क्योंकि प्राणायाम के द्वारा मन पूर्ण शान्त एवं एकाग्र हो जाता है। शान्त मन के द्वारा ही धारणा और ध्यान हो सकता हैं।
  • कपालभाति और अनुलोम विलोम प्राणायाम विधिपूर्वक करने से मन निर्विषय हो जाता हैं , अतः ध्यान स्वतः लगने लगता हैं। प्राणायाम से उसके मूलाधार चक्र में अवस्थित ब्रह्म की दिव्यशक्ति जागृत होकर उद्धर्वगामी होने लगती है , जिससे समस्त चक्रों और नाडियो का शोधन हो जाता है। आज्ञा चक्र में , एक दिव्य ज्योतिपुंज में , सच्चिदानंद स्वरुप ओंकार में मन अवस्थित होने लगता हैं। अत्यंत चंचल मन भी प्राणायाम के द्वारा एकाग्र हो जाता है।
  • ध्यान करते समय ध्यान को ही सर्वोपरि महत्त्व दे। ध्यान के समय किसी भी अन्य विचार को , चाहें वह कितना ही शुभ क्यों न हों , महत्त्व न दे। दान करना , सेवा एवं परोपकार करना , विद्याध्ययन , गुरू सेवा तथा गौसेवा आदि पवित्र कार्य है , परन्तु इनका भी ध्यान के समय ध्यान या चिंतन न करें। ध्यान के समय ईश्वर का चिंतन मनन करें।
  • ध्यान के समय मन एवं इन्द्रियो को अंतर्मुखी बनाए। मैं शरीर , इंद्रियों तथा इंद्रियों के विषय – शब्द , स्पर्श , रुप , रस , गन्ध आदी से रहित हूं। मैं मन तथा मन के विषय काम , क्रोध , लोभ , मोह एवं अहंकार आदि वासना रूप नहीं हूं।
  • ध्यान के समय – मैं आनंदमय , ज्योतिर्मय , प्रकाशमय , शांतिमय , परम सुखमय , त्रिगुणातित , भावातीत , शुद्धसत्व हूं। मैं अमृतपुत्र हूं। जैसे बूंद समुद्र से आकाश की ओर उठती है , फिर भूमि पर गिरकर नादियो के प्रवाह से होकर पुनः सागर में ही समाहित हो जाती हैं , मैं भी उस आनन्द के सिन्धु परमेश्वर में बूंद से समुद्र रूप होना चाहता हूं।
  • साधक को सदा विवेक वैराग्य भाव में रहना चाहिए। श्वास – प्रश्वास पर मन को एकाग्र करके प्राण के साथ औंकार की उपासना की जाती हैं। साधक को सोते समय भी इस प्रकार ध्यान करते हुए सोना चाहिए , ऐसा करने से निंद्रा भी योगमयी हों जाती हैं और साधक का सम्पूर्ण जीवन योगमय होने लगता हैं।
  • इस प्रकार प्रत्येक मानव को ध्यान , जप उपासना अवश्य करनी चाहिए। ऐसा करने पर इसी जन्म में सम्पूर्ण दुखों की समाप्ति और परमपिता परमेश्वर की अनुभूति हो सकती है।
  • साधक को सदैव स्मरण रखना चाहिए कि जीवन का मुख्य लक्ष्य आत्म साक्षात्कार एवं प्रभु प्राप्ति हैं। शेष सब कार्य और लक्ष्य गौण है।
  1. स्थान का चयन : ध्यान करने के लिए एक शांत और आरामदायक स्थान चुनें जहां कोई व्यवधान न हो। यह स्थान घर के किसी कोने में हो सकता है या एक विशेष ध्यान कक्ष हो सकता है।
  2. समय निर्धारित करें : अपने दैनिक रूटीन में ध्यान के लिए एक निश्चित समय निर्धारित करें। सुबह का समय ध्यान के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, लेकिन आप अपने सुविधा अनुसार समय चुन सकते हैं।
  3. आरामदायक स्थिति में बैठें : ध्यान करने के लिए आरामदायक स्थिति में बैठें। आप पद्मासन, सुखासन या कुर्सी पर बैठ सकते हैं। ध्यान रखें कि आपकी रीढ़ सीधी हो और शरीर में कोई तनाव न हो।
  4. सांस पर ध्यान केंद्रित करें : अपने सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। अपनी सांसों की गति को महसूस करें और विचारों को आने-जाने दें।
  5. ध्यान की विधि चुनें : अपने लिए उपयुक्त ध्यान विधि चुनें। शुरुआत में माइंडफुलनेस मेडिटेशन या गाइडेड मेडिटेशन से शुरुआत करें। धीरे-धीरे अन्य विधियों को भी आजमा सकते हैं।
  6. समय बढ़ाएं : शुरुआत में 5-10 मिनट से शुरुआत करें और धीरे-धीरे ध्यान का समय बढ़ाएं। नियमित अभ्यास से ध्यान का समय बढ़ाना आसान हो जाता है।

ध्यान Meditation को अपनी जीवनशैली में शामिल करना

ध्यान को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखें:

  1. नियमितता बनाए रखें : ध्यान में नियमितता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इसे अपने दैनिक रूटीन का हिस्सा बनाएं और नियमित रूप से अभ्यास करें।
  2. धैर्य रखें : ध्यान में धैर्य और संयम रखना आवश्यक है। शुरुआत में ध्यान केंद्रित करना कठिन हो सकता है, लेकिन धैर्य और नियमित अभ्यास से सुधार होगा।
  3. समुदाय से जुड़ें : ध्यान के लिए एक समुदाय या समूह से जुड़ें। यह आपको प्रेरित और समर्पित रहने में मदद करेगा। आप ध्यान से संबंधित कक्षाओं या वर्कशॉप में भी शामिल हो सकते हैं।
  4. स्वास्थ्य और संतुलन: ध्यान के साथ-साथ स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और अच्छी नींद को ध्यान में रखें। यह आपके ध्यान के अनुभव को और भी बेहतर बनाएगा।
  5. आत्म-साक्षात्कार : ध्यान को आत्म-साक्षात्कार और आत्म-विकास के माध्यम के रूप में देखें। इसे केवल तनाव प्रबंधन के उपकरण के रूप में नहीं, बल्कि अपने जीवन को सुधारने और गहराई से समझने के साधन के रूप में अपनाएं।

निष्कर्ष Conclusion

ध्यान की शुरुआत करना और इसे अपनी जीवनशैली में शामिल करना आपके मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकता है। यह न केवल तनाव और चिंता को कम करता है, बल्कि आपके जीवन को अधिक संतुलित और सार्थक बनाता है। नियमित ध्यान से आप न केवल आत्म-शांति प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी ला सकते हैं। ध्यान की इस यात्रा में धैर्य और समर्पण के साथ आगे बढ़ें और एक स्वस्थ और सुखद जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।

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